Saturday 23 July 2011

स्वप्न में देखा


स्वप्न में देखा  

कल रात मुझे एक सपना आया
न जाने कैसे यह मुझे आया
मैंने देखा  कि  एक 
अजीब सी चीज़  
मेरे आस -पास घूम रही थी
उसमें सूरज सा तेज था 
तो थी चाँद से शांति
हाव - भाव देख के लग रहा था 
ऐसा जैसे उसमें समायी हो क्रांति
में थोडा डरा ,
थोडा सहमा
फिर दिखा के  हिम्मत गया उसके पास
जाते ही पास उसके 
हुआ मुझे एक अजब सा एहसास
मेरे  मन में डर का तिमिर ओझल हो गया 
आत्मविश्वास का इक दीपक सा जल उठा
हो के खुश मै उससे पूछ ही बैठा
क्या नाम है तुम्हारा?
तुम इतने प्रेरक कैसे हो?
ये तुम्हारे चेहरे पे ओज कैसा है?
मेरी बात सुन के वो फूल सा मुस्काया
फिर बोला मेरा नाम है अक्षर 
में मानवता के निर्माण के लिए हू आया
तुम मुझसे भागते हो क्यों?
में तुम्हारी जीवन रेखा बदलने हू आया
मुझ में है इतनी शक्ति 
में हर भटके को दिखा देता हू राह 
जैसे सूरज की किरण से बीज बनता है पौधा 
मेरे आने से मानवता का एक नया रूप होता है पैदा
कालिदास हो या फिर अब्राहम लिंकन
या हो अब्दुल कलाम
हर एक ने मुझसे दोस्ती कर के 
किया है अपना नाम
तुम भी मुझसे दोस्ती कर लो
अपने जीवन को मेरे हवाले कर दो 
फिर देखना मेरे ओज का चमत्कार
तुम्हारे इस जीवन से 
दूर होगा अन्धकार
उसकी बात से मुझे हुई हैरानी
मिली इक प्रेरणा 
अब मैंने यह ठानी 
पदुंगा में भी करूँगा शब्द से दोस्ती
फिर सफलता भी करेगी मुझसे दोस्ती 

(पुरुस्कृत कविता ) 


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